खुद की कंपनी शुरू करने का सपना देख रहे हैं लेकिन फंडिंग और संसाधनों की चिंता है?
सरकार आपके साथ है! चाहे वह स्टार्टअप इंडिया सीड फंड हो या लोन, ये सभी योजनाएँ आपके उद्यमशीलता के सपनों को साकार करने के लिए बनाई गई हैं।

प्रधानमंत्री युवा योजना (युवा उद्यमिता विकास अभियान) एक सरकारी योजना है जो उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करती है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित करना है, जिसमें युवा उद्यमियों को आवश्यक कौशल, मार्गदर्शन और उद्यमिता सहयोग उपलब्ध कराया जाता है। यह योजना सामाजिक उद्यमों को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे आर्थिक विकास समावेशी और सतत बनाया जा सके।
नया व्यवसाय शुरू करना कई चुनौतियों के साथ आता है, लेकिन स्टार्टअप इंडिया योजना उद्यमियों के लिए इसे आसान बनाती है। इस योजना के तहत, पंजीकृत स्टार्टअप्स को पहले तीन वर्षों तक पूरी तरह से कर छूट मिलती है। इसका मतलब है कि इस अवधि में उन्हें अपने मुनाफे पर आयकर नहीं देना पड़ता, जिससे वे अपनी कमाई को व्यापार के विकास में पुनर्निवेश कर सकते हैं, बिना किसी वित्तीय दबाव के।
इसका मुख्य उद्देश्य नवाचार को प्रोत्साहित करना और नए व्यवसायों के शुरुआती वर्षों में कर का बोझ कम करके उन्हें आगे बढ़ने में सहायता करना है। इस लाभ के लिए, स्टार्टअप को स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत पंजीकृत होना चाहिए और कुछ पात्रता मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है। यह योजना नए उद्यमियों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रही है, जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, बिना शुरुआती टैक्स की चिंता किए।



अटल इनोवेशन मिशन (AIM) नीति आयोग के तहत एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। इस मिशन का लक्ष्य है कि विशेष रूप से छात्रों और स्टार्टअप्स को सही माहौल, संसाधन और सहयोग मिले, ताकि वे अपने विचारों को व्यावहारिक समाधान में बदल सकें।
स्टैंड-अप इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिला उद्यमियों को बैंक ऋण उपलब्ध कराकर नए व्यवसाय (ग्रीनफील्ड एंटरप्राइज) शुरू करने में सहायता करना है। इस योजना के तहत, प्रत्येक बैंक शाखा को कम से कम एक SC/ST उद्यमी और एक महिला उद्यमी को ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक का ऋण देना आवश्यक है।
यह ऋण विनिर्माण, सेवा, कृषि-संबद्ध गतिविधियों या व्यापार क्षेत्र में नए उद्यम स्थापित करने के लिए प्रदान किया जाता है। यदि कोई गैर-व्यक्तिगत व्यवसाय इस योजना का लाभ उठाता है, तो उसमें कम से कम 51% स्वामित्व और नियंत्रण SC/ST या महिला उद्यमी के पास होना चाहिए। यह पहल समाज के वंचित वर्गों को वित्तीय सहायता देकर उनके व्यवसायिक सपनों को हकीकत में बदलने में मदद करती है।


मेक इन इंडिया कार्यक्रम, 25 सितंबर 2014 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है। यह पहल निवेश आकर्षित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है, जिससे भारत विनिर्माण, डिजाइन और तकनीकी नवाचार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सके।
यह कार्यक्रम ‘वोकल फॉर लोकल’ की अवधारणा को अपनाने वाला पहला बड़ा कदम था, जिसमें स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने पर जोर दिया गया। एक मजबूत विनिर्माण क्षेत्र केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की युवा आबादी के लिए रोजगार सृजन और दीर्घकालिक स्थायी विकास को भी गति देता है।
क्रेडिट गारंटी योजना (CGS) छोटे और मध्यम उद्यमों (MSE) को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई थी। इस योजना के तहत, बिना किसी संपार्श्विक (कोलेटरल) या तीसरे पक्ष की गारंटी के उद्यमियों को बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वे अपने व्यवसाय को शुरू कर सकें। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए भारत सरकार और SIDBI ने मिलकर क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) की स्थापना की। यह पहल छोटे उद्यमों को सशक्त बनाकर उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने और देश में सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने का कार्य करती है।